Panchanga
Exchange Rate
Tag: upanishad
Gita 18th Chapter in Hindi Traslation
उसके उपरान्त अर्जुन बोले, हे महाबाहो ! हे अन्तर्यामिन् ! हे वासुदेव ! मैं संन्यास और त्यागके तत्त्वको पृथक्-पृथक् जानना चाहता हूँ। १। इस प्रकार अर्जुनके पूछनेपर श्रीकृष्णाभगवान् बोले, हे अर्जुन ! कितने ही पण्डितजन तो काम्यकोंके* त्यागको संन्यास जानते हैं और कितने ही विचारकुशल पुरुष सब कर्मोक फलके त्यागको त्याग कहते हैं। २ …
Gita 16th Chapter in Hindi Traslation
उसके उपरान्त श्रीकृष्ण भगवान् फिर बोले, हे अर्जुन ! दैवी सम्पदा जिन पुरुषोंको प्राप्त है तथा जिनको आसुरी सम्पदा प्राप्त है, उनके लक्षण पृथक्-पृथक् कहता हूँ, उनमें से सर्वथा भयका अभाव, अन्तःकरणकी अच्छी प्रकारसे स्वच्छता, तत्त्वज्ञानके लिये ध्यानयोगमें निरन्तर दृढ़ स्थिति और सात्त्विक दान। तथा इन्द्रियोंका दमन, भगवत्पूजा और अग्निहोत्रादि उत्तम कर्मोका आचरण एवं वेद-शास्त्रोंके …
Gita 15th Chapter in Hindi Traslation
उसके उपरान्त श्रीकृष्णभगवान् फिर बोले कि हे अर्जुन ! आदिपुरुष परमेश्वररूप मूलवाले और ब्रह्मारूप मुख्य शाखावाले। जिस संसाररूप पीपलके वृक्षको अविनाशी: कहते हैं तथा जिसके वेद पत्ते कहे गये हैं; उस संसाररूप वृक्षको जो पुरुष मूलसहित तत्त्वसे जानता है, वह वेदके तात्पर्यको जाननेवाला है । १ । हे अर्जुन ! उस संसार-वृक्षकी तीनों गुणरूप जलके …
Gita 14th Chapter in Hindi Traslation
उसके उपरान्त श्रीकृष्णभगवान् बोले, हे अर्जुन ! ज्ञानोंमें भी अति उत्तम परम ज्ञानको मैं फिर भी तेरे लिये कहूँगा कि जिसको जानकर सब मुनिजन इस संसारसे मुक्त होकर परम सिद्धिको प्राप्त हो गये हैं। १। हे अर्जुन ! इस ज्ञानको आश्रय करके अर्थात् धारण करके मेरे स्वरूपको प्राप्त हुए पुरुष सृष्टिके आदिमें पुनः उत्पन्न नहीं …
Gita 13th Chapter in Hindi Chapter
उसके उपरान्त श्रीकृष्णभगवान् फिर बोले, हे अर्जुन ! यह शरीर क्षेत्र है ऐसे कहा जाता है और इसको जो जानता है, उसको क्षेत्रज्ञ, ऐसा उनके तत्त्वको जाननेवाले ज्ञानीजन कहते हैं। १। और हे अर्जुन ! तू सब क्षेत्रोंमें क्षेत्रज्ञ अर्थात् जीवात्मा भी मेरेको ही जाना और क्षेत्र-क्षेत्रज्ञका अर्थात् विकारसहित प्रकृतिका और पुरुषका जो तत्त्वसे जानना …
Gita 12th Chapter in Hindi Traslation
बारहवाँ अध्याय इस प्रकार भगवानके वचनोंको सुनकर अर्जुन बोले, हे मनमोहन ! जो अनन्य प्रेमी भक्तजन इस पूर्वोक्त प्रकारसे निरन्तर आपके भजन-ध्यानमें लगे हुए आप सगुणरूप परमेश्वरको अति श्रेष्ठभावसे उपासते हैं और जो अविनाशी सच्चिदानन्दघन, निराकारको ही उपासते हैं, उन दोनों प्रकारके भक्तोंमें अति उत्तम योगवेत्ता कौन हैं। १। इस प्रकार अर्जुनके पूछनेपर श्रीकृष्णभगवान् बोले, …
Gita 11th Chapter in Hindi Traslation
इस प्रकार भगवान्के वचन सुनकर अर्जुन बोले-हे भगवन् ! मेरेपर अनुग्रह करनेके लिये परम गोपनीय, अध्यात्मविषयक बचन अर्थात् उपदेश आपके द्वारा जो कहा गया, उससे मेरा यह अज्ञान नष्ट हो गया है। १। क्योंकि हे कमलनेत्र ! मैंने भूतोंकी उत्पत्ति और प्रलय आपसे विस्तारपूर्वक सुने हैं तथा आपका अविनाशी प्रभाव भी सुना है। २ । …
Gita 10th Chapter in Hindi Traslation
भगवान् श्रीकृष्णचन्द्रजी बोले, हे महाबाहो ! फिर भी मेरे परम रहस्य और प्रभावयुक्त वचन श्रवण कर जो कि मैं तुझ अतिशय प्रेम रखनेवालेके लिये हितकी इच्छासे कगा ।१। हे अर्जुन ! मेरी उत्पत्तिको अर्थात् विभूतिसहित लीलासे प्रकट होनेको न देवतालोग जानते हैं और न महर्षिजन ही जानते हैं, क्योंकि मैं सब प्रकारसे देवताओंका और महर्षियोंका …
Gita 9th Chapter in Hindi Traslation
उसके उपरान्त श्रीकृष्ण भगवान् बोले, हे अर्जुन ! तुझ दोषदृष्टिरहित भक्तके लिये इस परम गोपनीय ज्ञानको रहस्यके सहित कहूँगा कि जिसको जानकर तू दुःखरूप संसारसे मुक्त हो जायगा।१। यह ज्ञान सब विद्याओका राजा तथा सब गोपनीयोंका भी राजा एवं अति पवित्र, उत्तम, प्रत्यक्ष फलवाला और धर्मयुक्त है, साधन करनेको बड़ा सुगम और अविनाशी है। २। …
Gita 8th Chapter In Hindi Traslation
इस प्रकार भगवान्के वचनोंको न समझकर अर्जुन बोले, हे पुरुषोत्तम ! जिसका आपने वर्णन किया वह ब्रह्म क्या है ? अध्यात्म क्या है ? कर्म क्या है और अधिभूत नामसे क्या कहा गया है? अधिदेव नामसे क्या कहा जाता है ? । १ । हे मधुसूदन ! यहाँ अधियज्ञ कौन है ? और वह इस …