Panchanga
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Category: Upanishada
Gita 7th Chapter in Hindi Traslation
उसके उपरान्त श्रीकृष्णभगवान् बोले, हे पार्थ ! तू मेरेमें अनन्य प्रेमसे आसक्त हुए मनवाला और अनन्य भावसे मेरे परायण होकर योगमें लगा हुआ मुझको सम्पूर्ण विभूति, बल, ऐश्वर्यादि गुणोंसे युक्त सबका आत्मरूप जिस प्रकार संशयरहित जानेगा, उसको सुन। १। मैं तेरे लिये इस रहस्यसहित तत्त्वज्ञानको सम्पूर्णतासे कहूँगा कि जिसको जानकर संसारमें फिर और कुछ भी …
Gita 6th Chapter in Hindi Traslation
श्रीभगवान् बोले-जो पुरुष कर्मफलका आश्रय न लेकर करनेयोग्य कर्म करता है, वह संन्यासी तथा योगी है और केवल अग्निका त्याग करनेवाला संन्यासी नहीं है तथा केवल क्रियाओंका त्याग करनेवाला योगी नहीं है ॥१॥ हे अर्जुन ! जिसको संन्यास ऐसा कहते हैं, उसीको तू योगा जान; क्योंकि संकल्पोंका त्याग न करनेवाला कोई भी पुरुष योगी नहीं …
Gita 5th Chhapter in Hindi Traslation
संजय बोले-उस प्रकार करुणासे व्याप्त और आँसुओंसे पूर्ण तथा व्याकुल नेत्रोंवाले शोकयुक्त उस अर्जुनके प्रति भगवान् मधुसूदनने यह वचन कहा ॥१॥ श्रीभगवान् बोले-हे अर्जुन! तुझे इस असमयमें यह मोह किस हेतुसे प्राप्त हुआ? क्योंकि न तो यह श्रेष्ठ पुरुषोंद्वारा आचरित है, न स्वर्गको देनेवाला है और न कीर्तिको करनेवाला ही है ॥२॥ इसलिये हे अर्जुन …
Gita 4th Chapter In Hindi Traslation
श्रीभगवान् बोले—मैंने इस अविनाशी योगको सूर्यसे कहा था; सूर्यने अपने पुत्र वैवस्वत मनुसे कहा और मनुने अपने पुत्र राजा इक्ष्वाकुसे कहा ॥ १ ॥ हे परंतप अर्जुन ! इस प्रकार परम्परासे प्राप्त इस योगको राजर्षियोंने जाना; किन्तु उसके बाद वह योग बहुत कालसे इस पृथ्वीलोकमें लुप्तप्राय हो गया ॥२॥ तू मेरा भक्त और प्रिय सखा …
Gita 3rd Chapter in Hindi Traslation
अर्जुन बोले-हे जनार्दन ! यदि आपको कर्मकी अपेक्षा ज्ञान श्रेष्ठ मान्य है तो फिर हे केशव ! मुझे भयङ्कर कर्ममें क्यों लगाते हैं? ॥१॥ आप मिले हुए-से वचनोंसे मेरी बुद्धिको मानो मोहित कर रहे हैं ।इसलिये उस एक बातको निश्चित करके कहिये जिससे मैं कल्याणको प्राप्त हो जाऊँ ॥२॥ श्रीभगवान् बोले-हे निष्पाप ! इस लोकमें …
Gita Second In Hindi Traslation
संजय बोले-उस प्रकार करुणासे व्याप्त और आँसुओंसे पूर्ण तथा व्याकुल नेत्रोंवाले शोकयुक्त उस अर्जुनके प्रति भगवान् मधुसूदनने यह वचन कहा ॥१॥ श्रीभगवान् बोले-हे अर्जुन! तुझे इस असमयमें यह मोह किस हेतुसे प्राप्त हुआ? क्योंकि न तो यह श्रेष्ठ पुरुषोंद्वारा आचरित है, न स्वर्गको देनेवाला है और न कीर्तिको करनेवाला ही है ॥२॥ इसलिये हे अर्जुन …
Gita First Chapter In Hindi Traslation
धृतराष्ट्र बोले-हे संजय ! धर्मभूमि कुरुक्षेत्रमें एकत्रित, युद्धकी इच्छावाले मेरे और पाण्डुके पुत्रोंने क्या किया? ॥१॥ संजय बोले-उस समय राजा दुर्योधनने व्यूहरचनायुक्त पाण्डवोंकी सेनाको देखकर और द्रोणाचार्यके पास जाकर यह वचन कहा ॥२॥ आचार्य ! आपके बुद्धिमान् शिष्य । द्रुपदपुत्र धृष्टद्युम्नद्वारा व्यूहाकार खड़ी की हुई पाण्डुपुत्रोंकी इस बड़ी भारी सेनाको देखिये ॥ ३ ॥ इस …